लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१

22- एक नई उम्मीद -

कहते-कहते पिता जी रूक गए तो रक्षा ने पिताजी से पूछा- कि आप क्या कहना चाहते हो, तो पिताजी ने कहा- शायद कोई अच्छी खबर लेकर आओ। यह सोचकर मैं अंदर ही अंदर शब्दों को चुनने में लग गया।  मैं सोचने लगा, कि किन शब्दों का प्रयोग करूं। जो उचित भी हो, और अच्छे भी हों, क्योंकि अब  हम सबको उम्मीद जगी है।  और आशा भी करते हैं.. पिताजी ने रक्षा से कहा- ठीक है, तुम जल्दी से हॉस्पिटल जाओ, और यह प्रसाद का धागा श्रेया की कलाई पर बांध दो..... हो सकता है। श्रेया को जल्दी से होश आ जाए, यह सुनकर  रक्षा ने आमीन..... बोला।  और वह अस्पताल जाने के लिए निकल पड़ी। पिताजी ने कहा- संभाल कर जाना और जल्दी से खुशखबरी लेकर आना.......दोनों के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।


शाम का समय था सूर्य छुप गया था, दोनों समय मिल चुके थे। मौसम बड़ा ही सुहाना हो रहा था। कुछ दूर चलने के बाद रक्षा को टैक्सी मिली और टैक्सी लेकर रक्षा थोड़ी देर में अस्पताल के गेट पर पहुंच गयी।अस्पताल पहुंचते ही रक्षा टैक्सी से उतरकर जल्दी-जल्दी अस्पताल के अंदरर गयी, जहां पर श्रेया लेटी हुई थी। वहां पहुंचते ही रक्षा मां से मिली मां की गोदी में रक्षा ने बच्ची को देखा उसे देखकर वह बहुत खुश हो गयी। रक्षा पहली बार अपनी भतीजी से मिल रही थी। उसने तुरंत उसको गोदी में ले लिया। खूब खिलाया और बहुत प्यार किया। आखिर रक्षा बुआ बन गई थी। बच्ची को देखते ही उसके मन में भाव जागृत हो गए और वह खुशी से फूली नहीं समाई। अस्पताल आते ही उसे एक खुशखबरी तो मिल ही गई थी। यहां बच्ची को खिलाने के बाद उसे याद आया कि वो श्रेया को प्रसाद का धागा बांधने आई है। उसने बच्ची को मां को पकड़ा कर कहा- कि मैं भाभी से मिलकर आती हूं । रक्षा श्रवन के साथ श्रेया के पास पहुंच कर उसने वह पूजा का अभिमंत्रित धागा श्रेया की कलाई पर बांध दिया। और माथे पर पूजा का टीका भी लगा दिया। श्रवन  अपनी बहन रक्षा से श्रेया और अपनी बेटी के बारे में बता रहा था। साथ में श्रवन ने यह भी कहा-कि मां भी बहुत थक गयी हैं। मां की हालत भी कुछ ठीक नहीं लग रही है। लेकिन मां से घर जाने को कहो तो वह  घर जाने को तैयार नहीं है। कहती हैं- जब तक मेरी बहू श्रेया को होश नहीं आएगा मैं घर नहीं जाऊंगी। श्रवण और रक्षा बात ही कर रहे थे। कि अचानक उनकी बेटी की रोने की आवाज आई।

श्रवन में कहा-ठीक है मैं उसे भी देख कर आता हूं। श्रवन बाहर आया तो देखा कि बच्ची बहुत ज्यादा ही रोए  जा रही थी। सभी ने उसे चुप कराने की बहुत कोशिश की।पर वह थी, कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। श्रवण को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। श्रवन उसे लेकर कमरे के अंदर आया। शायद उसके रोने में अपनी मां के लिए पुकार छुपी हुई थी। बच्ची रोए जा रही थी,कि अचानक एक चमत्कार सा हुआ। बच्चे की रोने की आवाज से श्रेया के हाथ की एक उंगली में थोड़ा सा कंपन हुआ। उसे देख रक्षा चिल्ला पड़ी। भैया भाभी की उंगली हिली। श्रवन ने भी देखा. ‌ कि श्रेया की उंगली हिल रही है । वह दौड़कर डॉक्टर को बुलाकर लाया। डॉक्टर नर्स दौड़ते हुए कमरे में आए और उन्होंने  भी महसूस किया। कि वास्तव में श्रेया की उंगली मैं कंपन हो रहा था।श्रेया की उंगली का कंपन देख डॉक्टर नर्स सभी के मन में खुशियां एक साथ उभर कर दिखने लगी। अब डॉक्टर को भी भरोसा हो गया था। कि अब थोड़ी बहुत देर में श्रेया को होश आ ही जाएगा।डॉक्टर ने नर्स को एक इंजेक्शन भरकर लाने को कहा- नर्स ने तुरंत इंजेक्शन भर के श्रेया को लगाया। और कुछ ही देर में............ श्रेया ने आंखें खोलना चाहा, परंतु खोल नहीं पाई।  डॉक्टर यह सब देख रहे थे, श्रेया की आंखों में हलचल देख कर के डॉक्टर के मन में खुशी की लहर दौड़ गई। और डॉक्टर के मुख से थैंक गॉड.... का स्वर गूंज उठा। डॉक्टर के थैंक गॉड ....बोलते ही श्रवन समझ गया। कि अब श्रेया को होश आने वाला है। और सभी के मन में खुशी की लहर दौड़ गयी। श्रवन ने दौड़कर मां को बताया कि श्रेया को होश आने वाला है। मां भी बहुत खुश हो गई। और श्रेया के कमरे में पहुंच गयी।अब हर तरफ खुशी का माहौल  था। सभी के चेहरे पर रौनक आ गई थी। बच्ची भी मां के पास आकर चुप हो गई थी। धीरे से श्रेया ने आंखें खोली। और फिर तुरंत बंद कर ली। अभी उसकी हालत बहुत नाजुक थी।  डॉक्टर की उम्मीदों में वृद्धि हो गई थी। अब डॉक्टर ने कहा- कि अब श्रेया को कुछ नहीं होगा। अब वह बिल्कुल ठीक हो जाएगी।

डॉक्टर के चेहरे की चमक देखकर आप सभी को विश्वास हो गया था। कि अब श्रेया बिल्कुल ठीक हो जाएगी। अब चिंता की कोई बात नहीं रही। तुरंत श्रवन ने अपनी सासू मां को फोन लगाया और बताया कि श्रेया को होश आ गया है,वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है। श्रवन के फोन को सुनकर श्रेया के माता-पिता तो जैसे जी उठे थे। उनकी मरे हुए शरीर में जैसे किसी ने प्राण डाल दिए हो। और दोनों ही बहुत खुश हुए, खुशी सिंह की आंखों में आंसू छलक आए। उन्होंने भगवान का शुक्रिया ...अदा किया, कि भगवान ने उनकी सुन ली। और उनकी बेटी को होश आ गया। श्रेया की मां उससे मिलने के लिए बहुत उतावली हो रही थी। उन्होंने तुरंत कपड़े बदल कर अस्पताल जाने की तैयारी कर ली।   श्रेया के माता-पिता दोनों टैक्सी लेकर अस्पताल के लिए निकल पड़े। उनके घर अस्पताल से काफी दूर था उन्हें अस्पताल तक पहुंचने के लिए एक घंटा चाहिए था। श्रेया के माता-पिता को टैक्सी में समय काटना मुश्किल हो रहा था।उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह कितनी जल्दी अस्पताल पहुंचकर अपनी बेटी से मिलकर उसे देखकर तसल्ली कर लें। आखिर काफी देर इंतजार करने के बाद श्रेया के माता-पिता की टैक्सी अस्पताल के दरवाजे पर पहुंची। 

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7 Comments

Simran Bhagat

24-Sep-2022 07:30 PM

👍🏻👍

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Seema Priyadarshini sahay

15-Sep-2022 05:25 PM

बहुत खूबसूरत

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Kaushalya Rani

14-Sep-2022 08:53 PM

Very interesting

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